हरियाणवी भजन हो हो बालाजी किसा हो गया चाला हो बालाजी भजन
गायक – नरेन्द्र कौशिक।
हो हो बालाजी किसा,
हो गया चाला हो,
दुख चिंता में काया जली,
रंग हो गया काला हो,
हों हो बालाजी किसा,
हो गया चाला हो।।
उठण दे ना बिल्कुल बाबा,
गेरै राखः खाट में,
चालण जोगी छोडः कोनया,
तोड़े जा स गात ने,
हद तं ज्यादा मैं सताई,
भुतां की बारात ने,
चौबीस घंटे रह साथ में,
ना करते टाला हो,
हों हो बालाजी किसा,
हो गया चाला हो।।
कई कई भुत बाबा मेरे,
भीतर बोले जां सं हो,
एक घड़ी भी चैन कोनया,
समसांणां में डोलें जां,
सोवण दे ना बालाजी मेरी,
गैल्यां आखर तोलें जां,
दिन और रात बोलें जां,
तेरी जान का गाला हो,
हों हो बालाजी किसा,
हो गया चाला हो।।
एक भुतणी कह मन्नै त,
मैं सुं काली माई हो,
तेरे दर प राजी हो क,
कलकते तं आई हो,
पुड़े गुलगले बणा खवादे,
गैल चुगानण ल्याई हो,
राजपाल ने राह दिखाई,
मेरा बण रखवाला हो,
हों हो बालाजी किसा,
हो गया चाला हो।।
मेरा बाबा रोग काट दे,
तेरी जोत जगाऊँगी,
देशी घी में तेरी बाबा,
सवामणी भी लाऊँगी,
कौशिक ने बुला क बाबा,
कीर्तन भी करवाऊँगी,
गाम समाल में बिल्लु शर्मा,
तेरी जपता माला हो,
हों हो बालाजी किसा,
हो गया चाला हो।।
हो हो बालाजी किसा,
हो गया चाला हो,
दुख चिंता में काया जली,
रंग हो गया काला हो,
हों हो बालाजी किसा,
हो गया चाला हो।।
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