हे श्याम प्रभु मेरी,
ये विनती सुन लेना,
तेरी सेवा करने का,
मुझको अवसर देना।।
-तर्ज- – होंठों से छू लो।
अरमान अधूरे है,
ये दिल बड़ा प्यासा है,
ये प्रेम का सौदा है,
नहीं खेल तमाशा है,
इस तू ही समझता है,
दूजे को क्या कहना,
हें श्याम प्रभु मेरी,
ये विनती सुन लेना।।
जो रोग लगा बैठा,
ना इसकी दवाई है,
मन की व्याकुलता ही,
इसकी सच्चाई है,
प्रभु तेरी यादों में,
झर झर बरसे नैना,
हें श्याम प्रभु मेरी,
ये विनती सुन लेना।।
छोटे से जीवन में,
मैं क्या कर पाउँगा,
यदि फिर से जनम मिलेगा,
धरती पर आऊंगा,
तेरे गुण गाने का,
मुझको अवसर देना,
हें श्याम प्रभु मेरी,
ये विनती सुन लेना।।
इस पागल ‘बिन्नू’ की,
बस यही तमन्ना है,
हर जन्मो में तुझको,
प्रभु ध्यान ये रखना है,
जो भाव भरे दिल में,
यूँ ही भरते रहना,
हें श्याम प्रभु मेरी,
ये विनती सुन लेना।।
हे श्याम प्रभु मेरी,
ये विनती सुन लेना,
तेरी सेवा करने का,
मुझको अवसर देना।।