हे नाथ दयावानों के,
सिरमौर बता दो,
छोडूँ मैं भला आपको,
किस तौर बता दो।।
हाँ शर्त ये कर लो,
की मैं हट जाऊँगा दर से,
अपना सा कृपासिंधु,
कोई और बता दो।
छोडूँ मैं भला आपको,
किस तौर बता दो।।
गर धाम मैं सरकार के,
रह सकता नहीं हूँ,
तो द्वार पे रहने के लिए,
पीर बता दो।
छोडूँ मैं भला आपको,
किस तौर बता दो।।
रैदास अजामिल,
सदन वो गिद्ध गणिका,
रहते हो जहाँ मुझको,
वही ठोर बता दो।
छोडूँ मैं भला आपको,
किस तौर बता दो।।
आंसू की झड़ी पर भी,
दया कुछ नहीं करते,
‘द्रिगबिंदु’ का कब तक,
ये चले दौर बता दो।
छोडूँ मैं भला आपको,
किस तौर बता दो।।
हे नाथ दयावानों के,
सिरमौर बता दो,
छोडूँ मैं भला आपको,
किस तौर बता दो।।