हरिनाम सुमर सुखकारण रे,
सुखकारण रे,
भवतारण रे,
हरिनाम सुमर सुखकारण रें।।
सोवत जागत फिरत निरंतर,
सोवत जागत फिरत निरंतर,
मुख से करो उच्चारण रे,
हरिनाम सुमर सुखकारण रें।।
जनम जनम के संचित सारे,
जनम जनम के संचित सारे,
पल में पाप निवारण रे,
हरिनाम सुमर सुखकारण रें।।
जप तप योग कठिन कलि माहि,
जप तप योग कठिन कलि माहि,
होय ना भव भयहारण रे,
हरिनाम सुमर सुखकारण रें।।
‘ब्रम्हानंद’ करो प्रभु के नित,
‘ब्रम्हानंद’ करो प्रभु के नित,
चरण कमल नित धारण रे,
हरिनाम सुमर सुखकारण रें।।
हरिनाम सुमर सुखकारण रे,
सुखकारण रे,
भवतारण रे,
हरिनाम सुमर सुखकारण रें।।