सिंहस्थ है सिंहस्थ,
शिव ही सत्य है शिव भगवंत,
शिव अादी है शिव ही अनंत।
नंदी पर सवार होकर,
आएंगे तारणहार,
दर्शन को दर पर उसके,
लाखों की लगी कतार -2।
बादलों ने बदली दिशाएं
आसमां से हटती घटाएं
खुश है सागर की लहरें
सनन मुस्काती हवाएं
शिव की भक्ति में खोने वाला जगत है….
सिंहस्थ है सिंहस्थ है सिंहस्थ है,
सिंहस्थ है सिंहस्थ है सिंहस्थ है,
सिंहस्थ………है…….
मेरा भोला है निराला
उस ने पिया विष का प्याला
सर पर चांद जटा में गंगा
गले में नाग की माला
शिव की महिमा अपरंपार
शिव करते सबका उद्धार
शिव करुणा का सागर है
शिव है सबका आधार
शिव आदी है शिव अनंत है
शिव शक्ति है वो भगवंत है
शिव ब्रह्म है ओमकार वही
शिव जीवन है संसार वही
मन छोड़ व्यर्थ की चिंता तू,
शिव का नाम लिए जा
शिव अपना काम करेंगे तू,
अपना काम किये जा ।
अमृत की बूंद गिरी शिप्रा जलधार में
मेरे महांकाल सजने वाले हैं श्रृंगार में -2
हर तरफ यही है चर्चा
भर लो शिव भक्ति पर्चा
मन में सब अलख जगा लो
गुजर जाए ना अरसा
कसक जीवन में मिलने वाला प्रयंत है,
सिंहस्थ है सिंहस्थ है सिंहस्थ है,
सिंहस्थ है सिंहस्थ है सिंहस्थ है,
सिंहस्थ………है……. – 2
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