शीश के दानी श्याम साँवरिया
का जो लेता नाम
चिंताए हर के बाबा
कष्टों का करते है निदान
आए जो भी खाटू मंदिर
हाथ में लेके निशान
चिंताए हर के बाबा
कष्टों का करते है निदान।।
मिश्री किशमिश
खीर और चूरमा
भोग लगा के बाबा को
स्वर्ण मुकुट और
गल फूलों की माला
पहना के बाबा को
श्याम धणी को जो भी रिझाएं
हो उसका कल्याण
चिंताए हर के बाबा
कष्टों का करते है निदान।।
जो फागण मेले में होली
खेलण जाते खाटू धाम
अपनी करुणा के रंगो से
सबको भिगोते मेरे श्याम
लगते है निसदिन जयकारे
यहाँ देखो सुबहो शाम
चिंताए हर के बाबा
कष्टों का करते है निदान।।
शीश के दानी श्याम साँवरिया
का जो लेता नाम
चिंताए हर के बाबा
कष्टों का करते है निदान
आए जो भी खाटू मंदिर
हाथ में लेके निशान
चिंताए हर के बाबा
कष्टों का करते है निदान।।