भजन लेके संजीवनी संकट को मिटाने आजा भजन लिरिक्स
गायक – देवेंद्र पाठक जी।
तर्ज – प्यार झूठा सही दुनिया को।
लेके संजीवनी संकट को,
मिटाने आजा,
वीर बजरंगी लखन भैया को,
बचाने आजा,
मेरे बजरंगी लखन भैया को,
बचाने आजा।।
देर हो जाएगी तो,
प्राण निकल जाएँगे,
माँ सुमित्रा को भला कौन,
मुँह दिखाएँगे,
सब कहेंगे की यहाँ,
राम ने नादानी की,
अपनी पत्नी के लिए,
भाई की क़ुर्बानी दी,
अपने इस राम को,
अपयश से बचाने आजा,
वीर बजरंगी लखन भैया को,
बचाने आजा,
मेरे बजरंगी लखन भैया को,
बचाने आजा।।
दुख में नल नील,
जामवंत और सुग्रीव यहाँ,
मेरे हनुमंत तुमने,
कर दी इतनी देर कहाँ,
पुरे ब्रह्मांड में ना ऐसा,
कोई शोक हुआ,
की जिसकी आह से,
आहत ये तीनो लोक हुआ,
गीत अब ‘अनुज’ का,
‘देवेंद्र’ सुनाने आजा,
वीर बजरंगी लखन भैया को,
बचाने आजा,
मेरे बजरंगी लखन भैया को,
बचाने आजा।।
लेके संजीवनी संकट को,
मिटाने आजा,
वीर बजरंगी लखन भैया को,
बचाने आजा,
मेरे बजरंगी लखन भैया को,
बचाने आजा।।
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