लाडली जू तुमसे,
मिलने को तरसती हूँ,
क्या बताऊं,
क्या छुपाने को मैं हंसती हूँ।।
बैरी दुनिया बड़ा सताती है,
लाख रोऊं ना बाज आती है,
सच बोलूं तो रूठ जाती है,
अब इशारे करें यह लाख,
ना मैं फसती हूँ,
क्या बताऊं,
क्या छुपाने को मैं हंसती हूँ।।
रोज खुद को ही छल रही हूं मैं,
किन हालातों में चल रही हूं मैं,
कैसे कह दूं कि जल रही हूं मैं,
कौन समझे मेरी पीड़ा,
क्यों बरसती हूं,
क्या बताऊं,
क्या छुपाने को मैं हंसती हूँ।।
लाडली जू तुमसे,
मिलने को तरसती हूँ,
क्या बताऊं,
क्या छुपाने को मैं हंसती हूँ।।