राम भजन यदि नाथ का नाम दयानिधि है भजन लिरिक्स
स्वर – कन्हैयालाल जी शर्मा।
यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी,
दुखहारी हरी, दुखिया जन के,
दुख क्लेश हरेगें कभी ना कभी।।
जिस अंग की शोभा सुहावनी है,
जिस श्यामल रंग में मोहनी है,
उस रूप सुधा से स्नेहियों के,
दृग प्याले भरेगें कभी ना कभी।।
जहां गिद्ध निषाद का आदर है,
जहाँ व्याध अजामिल का घर है,
वही भेष बनाके उसी घर में,
हम जा ठहरेगें कभी ना कभी।।
करुणानिधि नाम सुनाया जिन्हें,
कर्णामृत पान कराया जिन्हें,
सरकार अदालत में ये गवाह,
सभी गुजरेगें कभी ना कभी।।
हम द्वार में आपके आके पड़े,
मुद्दत से इसी है जिद पर अड़े,
भव-सिंधु तरे जो बड़े से बड़े,
तो ये ‘बिन्दु’ तरेगें कभी ना कभी।।
यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी,
दुखहारी हरी, दुखिया जन के,
दुख क्लेश हरेगें कभी ना कभी।।
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