बुलाओ जो तुम प्रभु को
प्रेम से बुलाना
प्रेम से बुलाना
प्रेमियों के घर में रहता
इनका आना जाना
बुलाओ जो तुम प्रभु को।।
फिल्मी तर्ज भजन : सौ साल पहले।
पासे में दुर्योधन ने जब
पांडव को हराया था
और भरी सभा में द्रोपती का
जब चिर उतारा था
प्रेम की आवाज सुनकर
चिर को बढ़ाया
चिर को बढ़ाया
प्रेमियों के घर में रहता
इनका आना जाना
बुलाओ जो तुम प्रभु को।।
शबरी ने बड़े ही प्रेम से जब
उन्हें घर में बुलाया था
खाटे ना निकले बेर स्वयं
उन्हें चख के खिलाया था
झूठे ना बेर वो था
प्रेम का नजारा
प्रेम का नजारा
प्रेमियों के घर में रहता
इनका आना जाना
बुलाओ जो तुम प्रभु को।।
नानी बाई ने प्रेम भरे जब
आंसू ढुलकाए
बहना को रोते देख मेरे
गिरधर ना रह पाए
चुनड़ी ओढ़ाए देखो
जग का पालनहारा
जग का पालनहारा
प्रेमियों के घर में रहता
इनका आना जाना
बुलाओ जो तुम प्रभु को।।
ये प्रेम पुजारी है ये बस
प्रेमी को ढूंढ़ता है
जब मिल जाता है प्रेम
मेरा नटवर ना रुकता है
शुभम रूपम का कहना
भूल ना जाना
भूल ना जाना
प्रेमियों के घर में रहता
इनका आना जाना
बुलाओ जो तुम प्रभु को।।
बुलाओ जो तुम प्रभु को
प्रेम से बुलाना
प्रेम से बुलाना
प्रेमियों के घर में रहता
इनका आना जाना
बुलाओ जो तुम प्रभु को।।