तुम मुझे यूँ जला ना पाओगे,
जली लंका मेरी जला मैं भी,
एक दिन तुम भी जलाये जाओगे,
तुम मुझे यूँ जला ना पाओगे।।
-तर्ज-– तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे।
मैंने सीता हरी हरि के लीये,
मैंने सीता हरी हरि के लीये,
राक्षक कुल की बेहतरी के लीये,
मैंने प्रभु को रुलाया वन वन में,
तुम प्रभु को रुला न पाओगे,
तुम मुझे यूँ जला ना पाओगे।
तुम मुझे यू जला ना पाओगे,
जली लंका मेरी जला मैं भी,
एक दिन तुम भी जलाये जाओगे,
तुम मुझे यूँ जला ना पाओगे।।
आज रावण से राम डरते है,
आज रावण से राम डरते है,
लखन ही सीता हरण करते है,
आज घर घर में छुपे है रावण,
आग किस किस को भला लगाओगे,
तुम मुझे यूँ जला ना पाओगे।
तुम मुझे यू जला ना पाओगे,
जली लंका मेरी जला मैं भी,
एक दिन तुम भी जलाये जाओगे,
तुम मुझे यूँ जला ना पाओगे।।
सीता हरना तो एक बहाना था,
सीता हरना तो एक बहाना था,
मुझको दर्शन प्रभु का पाना था,
मैंने मर कर के पाया प्रभु जी को,
जिन्दा रह करके जो तुम ना पाओगे,
तुम मुझे यूँ जला ना पाओगे।
तुम मुझे यूँ जला ना पाओगे,
जली लंका मेरी जला मैं भी,
एक दिन तुम भी जलाये जाओगे,
तुम मुझे यूँ जला ना पाओगे।।