भजन जरा ये तो बता घाटे वाले तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है
स्वर – पंडित श्री सुधीर जी।
तर्ज – भर दो झोली मेरी या।
जरा ये तो बता घाटे वाले,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है,
नजरो में है तेरा नजारा,
तेरा रुतबा भी कुछ कम नही है,
जरा ये तो बता घाटें वाले,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है।।
आँख वालों ने तुमको है देखा,
कान वालों ने तुमको सुना है,
तेरा जलवा उसी ने है देखा,
जिनकी आँखों पे पर्दा नही है,
जरा ये तो बता घाटें वाले,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है।।
हम तो रहते है सांझ सवेरे,
तेरे हाथों चौरासी के फेरे,
मुझे एक सहारा है तेरा,
मेरा दूजा सहारा नही है,
जरा ये तो बता घाटें वाले,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है।।
तुझपे जो भी लुटाए अपनी हस्ती,
लोग कहते है उसको दीवाना,
हमको एक डर है तुम्हारा,
हम ज़माने से डरते नही है,
जरा ये तो बता घाटें वाले,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है।।
जरा ये तो बता घाटे वाले,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है,
नजरो में है तेरा नजारा,
तेरा रुतबा भी कुछ कम नही है,
जरा ये तो बता घाटें वाले,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है।।
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