जबसे पार करी मैने
चौखट वो तोरण द्वार की।
कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा
जबसे बने तूने मुझे अपना
कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा
जबसे बने तूने मुझे अपना।
चलने लगी है रोज़ी रोटी
खूब मेरे परिवार की
जबसे पार करी मैने
चौखट वो तोरण द्वार की
जब से पार करी मैने
वो चौखट तोरण द्वार की।।
सोचो क्या नही दे सकता जो
शीश दे गया दान में
दोनो लोक भी दे डाले थे
बस दो मुट्ठी दान में
लाज ये रखता सबकी जैसे
लाज ये रखता सबकी जैसे
रखी सुदामा यार की
जबसे पार करी मैंने
चौखट वो तोरण द्वार की।।
इनके भरोसे छोड़ दे सब फिर
इनकी ज़िम्मेदारी है
ढूँढे से भी नही मिलेगी
विपदाएँ जो सारी हैं
श्याम से जिनकी यारी है
क्यूँ फिकर करे बेकार की
जबसे पार करी मैंने
चौखट वो तोरण द्वार की।।
कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा
जबसे बने तूने मुझे अपना
कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा
जबसे बने तूने मुझे अपना।
हाथ पकड़ता है ये उनका
जो दुनिया से हारे हैं
कितने ही प्रेमी बाबा ने
भव से पार उतारे हैं
किस्मत से मिलती है सेवा
किस्मत से मिलती है सेवा
सोनी इस दरबार की
जबसे पार करी मैने
चौखट वो तोरण द्वार की।।
चलने लगी है रोज़ी रोटी
खूब मेरे परिवार की
जबसे पार करी मैने
चौखट वो तोरण द्वार की
जब से पार करी मैने
वो चौखट तोरण द्वार की।।