क्या माँगू जी मैं क्या मांगू
श्याम प्रभु तुमसे क्या मांगू।।
इतना दिया है तुमने मुझको
झोली नहीं समाये
जैसा जब भी मन में आये
तू वैसा कर जाए
इच्छाए तो साँवरे
लहरे सिंधु की
प्यासी रहती है सदा
एक और बिंदु की
अरब मांगू या खरब मांगू
श्याम प्रभु तुमसे क्या मांगू
क्या मांगू जी मैं क्या मांगू
श्याम प्रभु तुमसे क्या मांगू।।
सांची दौलत देकर बाबा
जीवन मेरा सजा दे
जिसमे भला हो मेरा भगवन
ऐसा काम पटा दे
भजनों की तो साँवरे
माला दे मुझे
अपने सच्चे प्रमियों की
सेवा दे मुझे
घर मांगू या मैं दर मांगू
श्याम प्रभु तुमसे क्या मांगू
क्या मांगू जी मैं क्या मांगू
श्याम प्रभु तुमसे क्या मांगू।।
अज्ञानी हूँ मूर्ख हूँ मैं
तू ही पाठ पढ़ा दे
मेरे सर पर प्यार से बाबा
अपना हाथ फिरा दे
पीड़ा मन में ना रहे
ऐसा दे वचन
बगिया नंदू भक्तो की
कर दे प्रभु चमन
फूल मांगू या बहार मांगू
श्याम प्रभु तुमसे क्या मांगू
क्या मांगू जी मैं क्या मांगू
श्याम प्रभु तुमसे क्या मांगू।।
क्या माँगू जी मैं क्या मांगू
श्याम प्रभु तुमसे क्या मांगू।।