कोई सार नहीं है संसार में
इक सार है साँवरे के प्यार में
जब कही ना मिले तुझे आसरा
मिल जायेगा श्याम दरबार में
कोई सार नही है संसार में।।
फिल्मी तर्ज भजन: जरा सामने तो आओ छलिये।
भटक भटक कर रे मनवा तू
क्यों जीवन बर्बाद करे
मुह पर तेरे बनने वाले
पीछे से आघात करे
सगा देता दगा परिवार में
क्या रखा है झूठे संसार में
जब कही ना मिले तुझे आसरा
मिल जायेगा श्याम दरबार में
कोई सार नही है संसार में।।
सच्चे हृदय से जिसने पुकारा
आया मुरली वाला है
डूबती नैया पार लगाता
निर्बल का रखवाला है
दरिया आनन्द का दरबार में
क्यों खड़ा है तू सोच विचार में
जब कही ना मिले तुझे आसरा
मिल जायेगा श्याम दरबार में
कोई सार नही है संसार में।।
गुजर तेरा जीवन जायेगा
बेमतलब के कामो में
राह पकड़ ले सांवरिया की
नाम लिखा दीवानों में
राजू अनन्य सुख संसार में
राधेश्याम के ही दरबार में
जब कही ना मिले तुझे आसरा
मिल जायेगा श्याम दरबार में
कोई सार नही है संसार में।।
कोई सार नहीं है संसार में
इक सार है साँवरे के प्यार में
जब कही ना मिले तुझे आसरा
मिल जायेगा श्याम दरबार में
कोई सार नही है संसार में।।