गुरुदेव भजन कर भले ही तू जगत में प्राणी सब करम छूटे ना भजन
तर्ज – करवटे बदलते रहे सारी रात।
कर भले ही तू जगत में,
प्राणी सब करम,
छूटे ना भजन,
कभी छूट ना भजन।।
आएँगी अड़चन बहुत ही,
राह मे बँन्दे तेरी,
चलते ही रहना तू प्राणी,
दूर है मँजिल तेरी,
तू सँभल कर रखना प्राणी,
जग मे अपना हर कदम,
तू कही जाना नही,
जाए तो जाए मन,
छूटे ना भजन,
कभी छूट ना भजन।।
काम तो सब ही तू करना,
ध्यान साँसो का रहै,
सबकी सुनना पर वो करना,
जो मेरे सतगुरू कहे,
देख तू बिसरा न देना,
प्राणी सँतो के बचन,
एक न एक दिन करेगे,
सतगुरू करम,
छूटे ना भजन,
कभी छूट ना भजन।।
नाम भजने से तेरे,
सँकट सभी कट जाएगे,
नाम की महिमा से भव,
बँधन भी सभी कट जाएँगे,
जग भले रूठे तो रूठे,
छूटे न सतगुरू शरण,
आजा सतगुरु की शरण,
मिट जाए सब भरम,
छूटे ना भजन,
कभी छूट ना भजन।।
कर भले ही तू जगत में,
प्राणी सब करम,
छूटे ना भजन,
कभी छूट ना भजन।।