कण कण में जो रमा है,
हर दिल में है समाया,
उसकी उपासना ही,
कर्तव्य है बताया,
कण कण में जो रमा हैं,
हर दिल में है समाया।।
-तर्ज-– दुनिया ने दिल दुखाया।
दिल सोचता है खुद वह,
कितना महान होगा,
इतना महान जिसने,
इतना महान जिसने,
संसार है बनाया,
कण कण में जो रमा हैं,
हर दिल में है समाया।।
देखो ये तन के पुर्जे,
करते है काम कैसे,
जोड़ों के बीच कोई,
जोड़ों के बीच कोई,
कबज़ा नहीं लगाया,
कण कण में जो रमा हैं,
हर दिल में है समाया।।
इक पल में रोशनी से,
सारा जहान चमका,
सूरज का एक दीपक,
सूरज का एक दीपक,
आकाश में जलाया,
कण कण में जो रमा हैं,
हर दिल में है समाया।।
अब तक ये गोल धरती,
चक्कर लगा रही है,
फिरकी बना के कैसी,
फिरकी बना के कैसी,
तरकीब से घुमाया,
कण कण में जो रमा हैं,
हर दिल में है समाया।।
कठपुतलियों का हमने,
देखा अजब तमाशा,
छुपकर किसी ने सबको,
छुपकर किसी ने सबको,
संकेत से नचाया,
कण कण में जो रमा हैं,
हर दिल में है समाया।।
हर वक्त बनके साथी,
रहता है साथ सबके,
नादान ‘पथिक’ उसको,
नादान ‘पथिक’ उसको,
तू जानने पाया,
,
कण कण में जो रमा हैं,
हर दिल में है समाया।।
कण कण में जो रमा है,
हर दिल में है समाया,
उसकी उपासना ही,
कर्तव्य है बताया,
कण कण में जो रमा हैं,
हर दिल में है समाया।।