उधो मोहे मैया की
आज याद सताती है
भैया वृन्दावन को
ले जा मेरी पाती है
उधो मोहे मईया की
आज याद सताती है।।
फिल्मी तर्ज भजन : बाबुल का ये घर।
जा दिन में मथुरा को
देख आया था घर सो
कह कर के आया था
आ जाऊंगा परसो
नहीं आज तलक पंहुचा
नहीं आज तलक पंहुचा
कैसी मेरी छाती है
उधो मोहे मईया की
आज याद सताती है।।
जैसी होवे तैसी
सबको समझा देना
कान्हा कहे राधा को
कुछ ज्ञान करा देना
मेरी श्यामा गैया
मेरी श्यामा गैया
फिरकण में रंभाती है
भैया वृन्दावन को
ले जा मेरी पाती है।।
उधो मोहे मैया की
आज याद सताती है
भैया वृन्दावन को
ले जा मेरी पाती है
उधो मोहे मईया की
आज याद सताती है।।