आओ भक्तो चलो चले
खाटू नगर श्याम के दर
मेरा मन मचला जाए
बीत ना जाये
फागण का मेला
कही छूट ना जाये
आओ भक्तों आओ भक्तों
चलो चले
खाटू नगर श्याम के दर।।
पल पल हर पल
याद तेरी तड़पाती है
मैं जागु तो नींद
तुम्हे ना आती है
पूरे साल ये
इंतज़ार ही रहता है
कब आएगा फागण
मन ये कहता है
ये दूरी अब दोनों से
सही नही जाए
फागण का मेला
कही छूट ना जाये
आओ भक्तों आओ भक्तों
चलो चले
खाटू नगर श्याम के दर।।
आये जो फागण तो
बाबा बीते ना
तेरे तो बस में होगा
इसे रोको ना
क्यों ये फागण
इतनी जल्दी जाता है
भीगी पलकों पे
यादें रख जाता है
राज प्रेमियों संग
अर्ज लगाए
फागण का मेला
कही छूट ना जाये
आओ भक्तों आओ भक्तों
चलो चले
खाटू नगर श्याम के दर।।
आओ भक्तो चलो चले
खाटू नगर श्याम के दर
मेरा मन मचला जाए
बीत ना जाये
फागण का मेला
कही छूट ना जाये
आओ भक्तों आओ भक्तों
चलो चले
खाटू नगर श्याम के दर।।
तर्ज – परदेसी परदेसी।