अगर मिलना चाहो,
तो कीर्तन में देखो आकर,
मिलूंगा फुर्सत से तुमको,
करूँगा बातें मैं जमकर,
अगर मिलना चाहों,
तो कीर्तन में देखो आकर।।
अगर खाटू में मिलोगे तो,
वहां दरबार लगाता हूँ,
किसी का कष्ट मिटाता हूँ,
किसी की लाज बचाता हूँ,
मैं बैठा हूँ वहां डटकर,
हारे का साथी बनकर,
अगर मिलना चाहों,
तो कीर्तन में देखो आकर।।
मिलोगे वृन्दावन में तो,
वहां पे रास रचाता हूँ,
कहीं गैया चराता हूँ,
कहीं माखन चुराता हूँ,
की सुधबुध खोती है,
सखियाँ मुरली सुनसुन कर,
अगर मिलना चाहों,
तो कीर्तन में देखो आकर।।
मुझे कीर्तन बड़ा प्यारा,
वहां पे मस्त रहता हूँ,
वहां पे अपने भक्तों की,
मैं सारी बातें सुनता हूँ,
श्याम ये कहता रहता हूँ,
प्रेमियों का प्रेमी बनकर,
अगर मिलना चाहों,
तो कीर्तन में देखो आकर।।
अगर मिलना चाहो,
तो कीर्तन में देखो आकर,
मिलूंगा फुर्सत से तुमको,
करूँगा बातें मैं जमकर,
अगर मिलना चाहों,
तो कीर्तन में देखो आकर।।